बादल के बंद लिफाफे में
कहीं उसका खत तो नहीं
पता नही लब्स गिले है या सुखे?
भेजे होंगे उसने हजार सपने और कईं ख्वाईशे
या भेजी होगी उसने झिलमिलाती हुयी धुप
या फीर आसूंओं की गिली बारीश
लिफाफा खोलतेही गिला होना तय है
बस सोच रहा हूं के किस को साथ ले लूं
दिल को या दिमाग को?
बादल के बंद लिफाफे में
कहीं उसका खत तो नहीं...
-सत्यजित.
कहीं उसका खत तो नहीं
पता नही लब्स गिले है या सुखे?
भेजे होंगे उसने हजार सपने और कईं ख्वाईशे
या भेजी होगी उसने झिलमिलाती हुयी धुप
या फीर आसूंओं की गिली बारीश
लिफाफा खोलतेही गिला होना तय है
बस सोच रहा हूं के किस को साथ ले लूं
दिल को या दिमाग को?
बादल के बंद लिफाफे में
कहीं उसका खत तो नहीं...
-सत्यजित.
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