मैत्री म्हणजे काय?
सांगता येत नाही
मैत्री कधी मैत्रीचा
पुरावा देत नाही
मैत्री मुळीच नातं नसतं
मैत्री नसते बंधन
मैत्री म्हणजे श्वास असतो
मैत्री असते स्पंदन
मैत्री राधीकेच गाणं
मैत्री सावळ्याचा पावा
मैत्री सारं सारं देउन
मिळाल्याचा दावा
मैत्री छोटं बाळ असतं
मैत्री असते पोक्त
मैत्री सुदाम्याचे पोहे
मैत्री मथुरेच तख्त
मैत्री असते सागर
मैत्री असते झरा
मैत्री असते अथांग खोल
मैत्री खळखळणारी धारा
मैत्री कधीच मरत नसते
मैत्री कधीच सरत नसते
मैत्री अमृताचे थेंब होऊन
रितेपण भरत असते
मैत्री सांगता येत नाही
मैत्री असते जाणीव
मैत्रीत मागता येत नाही
मैत्रीत नसते उणीव
मैत्री नसते स्वार्थ
मैत्री ना परमार्थ
मैत्री असते साधासरळ
जिवनाचा अर्थ
मैत्री गालावरचे
अश्रू पुसणारा हात
मैत्री आत आत खोल खोल
रुजलेली साथ
मैत्री असते घट्ट मिठी
मैत्री असते झप्पी
मैत्री थुईथूई आनंदात
गालावरची पप्पी
मैत्री असते कुणासाठी
अविरत कळकळ
मैत्री असते शब्दांवाचुन
व्यक्त होणारी तळमळ
मैत्री असते दोन श्वास
मैत्री दोन श्वासातलं अंतर
मैत्री श्वासांचाही श्वास
मैत्री श्वासांच्याही नंतर
मैत्रीवर लिहीता लिहीता
आकाश भरुन जाईल
समुद्राच्याही शाईचा
दौत रीता होईल
मित्र दुर होतात तरी
मैत्री कधीच विरत नाही
मैत्री आठवणींचा गंध
मैत्री कधीच झुरत नाही
-सत्यजित
No comments:
Post a Comment